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बीए सेमेस्टर-1 इतिहास

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :325
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2628
आईएसबीएन :000000000

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बीए सेमेस्टर-1 इतिहास के नवीन पाठ्यक्रमानुसार प्रश्नोत्तर

 

12

चौहान
( Chauhan )

 

प्रश्न- विग्रहराज चतुर्थ के शासन काल की घटनाओं का उल्लेख कीजिए।

अथवा
विग्रहराज चतुर्थ की समकालीन राजनीति में भूमिका स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-

चाहमान नरेश विग्रहराज चतुर्थ

चाहमान सत्ता का चरमोत्कर्ष काल -  अर्णोराज के कुल चार पुत्र थे। बड़ी रानी सुधवा देवी से जगदेव, विग्रहराज और देवदत्त ने जन्म लिया था और छोटी रानी कांचन देवी, उसके छोटे पुत्र सोमेश्वर की माता थी। जगद्देव ज्येष्ठ पुत्र था परन्तु वह पितृहन्ता था। इस कारण वह अप्रिय और बदनाम हो गया। विग्रहराज ने शीघ्र ही उसकी हत्या कर दी और अजमेर का शासक बन गया। इस प्रकार अपने अत्यल्प शासन में जगद्देव केवल अपनी बदनामी ही छोड़ गया था। विग्रहराज राजसिंहासन प्राप्त करते ही चाहमान वंश के गौरव में वृद्धि करने में व्यस्त हो गया। उसका सन् 1153 ई. का सर्वप्रथम अभिलेख उसकी राजधानी के सबसे सुन्दर स्थान सरस्वती मन्दिर (वर्तमान अढ़ाई दिन का झोपड़ा नामक मस्जिद) नामक विद्यालय भवन से प्राप्त हुआ है। क्योंकि ऐसा अनुमान है कि इस सुन्दर और विशाल वस्तु को पर्वत से काटकर निर्मित कराने में अनेकों वर्ष लगे होंगे, यह भी उचित रूप से ही अनुमान किया गया है कि उसका राज्यारोहण सन् 1150 ई. के लगभग ही हुआ होगा। अभी तक उसके केवल ग्यारह अभिलेख ही प्राप्त हुए हैं। उनसे ज्ञात ऐतिहासिक तथ्यों में यदि सोमेश्वर के बिजौलिया अभिलेख के तथ्यों को भी सम्मिलित करवा दिया जाएं तो विग्रहराज न केवल चाहमान वंश के वरन् सभी राजपूत वंशों के महत्तम शासको की पंक्ति में बैठने का सहज ही अधिकारी होगा।

चालुक्य क्षेत्रों की विजय - अपने पिता अर्णोराज की चालुक्य नरेशों के साथ पराजय का प्रतिशोध लेना विग्रहराज के मन में सर्वप्रमुख भाव था। कुमारपाल ने अर्णोराज पर विजय प्राप्त करने के उपरान्त एक-एक कर उसने सभी मित्रों को दण्डित कर सपालदक्ष की सीमाओं पर योग्य राज्यपालों की नियुक्ति की थी। इसके साथ ही उसने अनेक मध्यस्थ और करद सामन्त राज्यों में अपने इच्छित शासको की नियुक्ति की। उसका एक अधिकारी दण्डाधीश चित्तौड़ में नियुक्त था। नाडौल के चाहमान सामन्तों के शाकम्भरी के अपने ही वंश के विरुद्ध जयसिंह और कुमारपाल की आज्ञाओं का पालन करना पड़ा। कुमारपाल ने अर्णोराज से युद्ध के ही काल में वहाँ क्रमश सहजपाल, आल्हण, दण्डाधीश वजल्ल देव को और कुन्तपाल को शासनस्थ किया था। विग्रहराज ने सर्वप्रथम सज्जन के विरुद्ध अभियान किया, बिजोलिया अभिलेख उसे पृथ्वी पर सबसे बड़ा असज्जन कहता है। तत्सम्बन्धी सूचना के आधार पर यह कहा जाता है कि विग्रहराज ने उसकी हत्या कर दी।

बिजौलिया अभिलेख का आगे कथन है कि विग्रहराज ने अप्रसन्न होकर जावालिपुर को ज्वालापुर बना दिया अर्थात् जला दिया। पल्लिका अथवा पाली को एक तुच्छ गाँव बना दिया और नड्डुल को नडवल तुल्य अर्थात् बेत की भाँति झुका दिया। इन सभी स्थानों के सामन्त चालुक्यों के सामन्त थे और विग्रहराज ने उसका मानमर्दन करके कुमारपाल से अपने पिता अर्णोराज की पराजय का कई गुना बदला लिया। उपरोक्त स्थानों में जावालिपुर जालौर था और नड्डुल चालुक्य अधिसत्ता स्वीकार करने वाले चाहमानों की एक सामन्त शाखा की राजधानी थी। पाली का क्षेत्र भी नौडाल के चाहमानों के अधीन था। चालुक्य अधीनता स्वीकार करने वाले इन क्षेत्रों के अतिरिक्त चाहमान शासक ने कुन्तपाल नामक एक सामन्त पर आक्रमण किया, जिसका ठीक-ठीक समीकरण करना अत्यन्त कठिन है। सम्भवतः वह नड्डुल के सामन्त चाहमान कुल का ही था, जो कुमारपाल की ओर से वहीं का राज्यपाल नियुक्त किया गया था। इन विजयों से विग्रहराज ने चाहमानों की सैनिक प्रतिष्ठा का ध्वज तो फहराया ही, मेवाड़ और मारवाड़ वाले अनेक चालुक्य क्षेत्रो को भी अपने अधीन कर लिया। नाडौल, चित्तौड़ और जालौर में उनका प्रशासन स्थापित हो गया। इन क्षेत्रों के बिजौलिया, मण्डलगढ़ और जहाजपुर नामक स्थानों से उसके और उसने उत्तराधिकारियों के अनेक अभिलेख प्राप्त हुए। यह इन स्थानों पर चाहमान सत्ता की स्थापना का पक्का प्रमाण है। अजमेर संग्रहालय वाली चौहान प्रशस्ति के कुमारपाल के नाम का करवलपाल के रूप में विरूपक यह इंगित करता है कि विग्रहराज के मुकाबले चालुक्य राजहीन समझा जाने लगा।

विग्रहराज चतुर्थ की अन्य विजयें  - उत्तर दिशा में दिल्ली के तोमर वंशीय सामन्तों की स्वतन्त्र सत्ता को समाप्त कर उन्हें चाहमान सत्ता के अन्तर्गत लाना विग्रहराज चतुर्थ की विशेष उपलब्धि थी। बिजौलिया अभिलेख में उसकी प्रशंसा करते हुए कहा गया है कि उसने ढिल्लिका और असिका पर अधिकार स्थापित किया। ढिल्लिका का दिल्ली और असिका का समीकरण हॉसी से किया जा सकता है। इसके पूर्व दिल्ली पर तोमर वंशीय नरेशों का अधिकार था। जिनके विरुद्ध चाहमान नरेश चन्दनराज के समय से ही संघर्ष करते चले आ रहे थे। किन्तु विग्रहराज चतुर्थ के पूर्व अनेक युद्धों के विजय प्राप्त करते हुए भी उत्तर की ओर अग्रसर होकर तोमर क्षेत्रों पर अधिकार करने में चाहमानो को कोई उल्लेखनीय सफलता नही मिली थी। दिल्ली पर विग्रहराज के अधिकार का सूचक उसका दिल्ली शिवालिक स्तम्भ अभिलेख (सन् 1164 ई.) है जो फीरोजशाह की लाट नामक अशोक स्तम्भ पर उत्कीर्ण है।

बिजौलिया अभिलेख के एक श्लोक के आधार पर डॉ. दशरथ शर्मा ने यह निष्कर्ष निकाला है कि विग्रहराज ने भाडानक राज्य पर भी विजय प्राप्त की। राज्यशेखर कृत काव्यमीमांसा के साक्ष्य से उन्होंने यह निष्कर्ष निकाला है कि भाडानक राज्य अहीरों का था और अहीरवाटी एव शेरवा नदी के बीच स्थित था। पृथ्वीराज विजय के अनुसार विग्रहराज ने अनेक पर्वतीय दुर्गों पर भी विजय प्राप्त की थी, परन्तु साक्ष्यों के अभाव के इस सम्बन्ध में कोई निश्चयात्मक बात नहीं कही जा सकती। इसी प्रकार विप्रभाचार्य अपने 'धर्मद्योष सूरि स्तुति में कहते हैं कि मालवा के किसी नरेश ने अजमेर स्थित एक जैन मन्दिर का ध्वज स्तम्भ लगाते समय विग्रहराज की सहायता की थी। मालवा की राजनैतिक सत्ता उस समय एकदम क्षीण थी और यह असम्भव नहीं है कि यहाँ के किसी राजा ने चाहमान सत्ता का गौरव स्वीकार कर लिया हो।

तुकों के आक्रमणों का प्रतिरोध - दिल्ली और उसके पूर्व हिमालय की तलहटियों तक के क्षेत्रो पर अधिकार लेने के परिणामस्वरूप विग्रहराज का लाहौर के यमीनी शासकों के अधीनस्थ क्षेत्रों से सीधा सामना हो गया। परिणामतः दक्षिण और पूरब में उसके प्रसार को रोकने का उत्तरदायित्व भी उसी के कन्धों पर आ गया। उसका दिल्ली से प्राप्त होने वाला अभिलेख यह स्पष्ट करता है कि वह इस उत्तरदायित्व को भली-भाँति समझता था। उसमें कहा गया है कि विग्रहराज ने म्लेच्छों अर्थात आक्रमणकारी मुसलमानों का समूलोच्छेदन कर आर्यावर्त देश को उसका वास्तविक अर्थ प्रदान किया। सोमदेवकृत ललितविग्रहराज नाटक भी उसके तुर्की से होने वाले सघर्षों का उल्लेख करता है। दुर्भाग्यवश नाटक के कुछ अंश ही अजमेर के सरस्वती मन्दिर (अढ़ाई दिन का झोपड़ा) में उत्तर वंचित मिलते हैं और उनसे पूरे तथ्यों की जानकारी नहीं होती। किन्तु जो भी थोड़ा बहुत ज्ञात है उससे इतना निश्चित है कि विग्रहराज

तुर्क दबाव को रोकने के लिए सर्वदा तत्पर था। उसके सामने प्रमुख समस्या चाहमान क्षेत्रों की रक्षा थी। उपरोक्त नाटक से इतनी ही सूचना मिलती है कि उसने अपने मन्त्री श्रीधर के परामर्श के विपरीत, हम्मीर से कोई अपमानजनक सन्धि करना उचित नहीं समझा और युद्ध करते हुए अपनी और अपने मित्रों की रक्षा करना ही बीरोचित माना। किन्तु यह ज्ञात नहीं कि उसके इस निश्चय का क्या परिणाम निकला।

दिल्ली शिवालिक अभिलेख के अनुसार वीसलदेव ने हिमालय से लेकर विन्ध्याचल के बीच सभी क्षेत्रों को अपना करद बना लिया। इस प्रशंसा में अतिश्योक्ति हो सकती है परन्तु इसमें सन्देह नहीं कि उसने हिमालय की पहाड़ियों के क्षेत्र अपने अधिकार में किये थे। यथार्थ मे अपनी विजयो से उसने चाहमानों को अपने समय के उत्तरी भारत की सर्वप्रमुख सत्ता बना दिया। इसे साम्राज्य सत्ता कहने में भी कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए। परमभट्टारक महाराजाधिराज, परमेश्वर भीम विग्रहराजदेव अपनी वीसल, विश्वल अथवा वीसलदेव की उपाधि से अधिक विश्रुत हुआ।

महान युद्धों का यह विजेता तलवार के प्रयोग में जितना दक्ष था, उतना ही लेखनी चलाने में भी कुशल था। उसके रहते ही उसकी प्रजा को भर्तृहरि समुद्रगुप्त, हर्ष और भोज जैसे भारतीय परम्पराओं में अमर राजकवियों की स्मृति सहज ही आ जाती होगी। साहित्य और साहित्यकारों के उन संरक्षक को जयानक भट्ट कवि-बान्धव की उपाधि देता है और कहता है कि उसकी मृत्यु के उपरान्त कोई ऐसा नही बचा जिसके लिए यह शब्द सही अर्थ में प्रयुक्त किया जा सके। मेरुतुग ने भी उसके इस विरद का उल्लेख किया है। उसका राजदरबारी कवि और ललित विग्रहराज नामक नाटक का रचयिता सोमदेव बताता है कि वह अपने समय के वीरों में तो सर्वश्रेष्ठ था ही विपश्चितों में भी वह सर्वप्रथम था। उसने हरिकेली नाटक की रचना की। उसके काव्य सौष्ठव की प्रशंसा करते हुए कीलहार्न ने कहा है "उससे इस बात का पक्का प्रमाण मिलता है कि प्राचीन युग में हिन्दूराजे काव्य वंश में भवभूति और कालिदास की प्रतिद्वन्द्विता करने को लालायित रहते थे। वह स्वयं तो कवि था ही, कवियो, विद्वानों की परम्परा को सतत् चालू रखने के लिए अपनी राजधानी अजमेर में उसने सरस्वती मन्दिर नामक एक विद्यालय की स्थापना की।

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    अनुक्रम

  1. प्रश्न- ऐतिहासिक युग के इतिहास पर प्रकाश डालिए।
  2. प्रश्न- सिन्धु घाटी सभ्यता का परिचय दीजिए व भारत में उसके बाद विकसित होने वाली सभ्यता व संस्कृति को चित्रित कीजिए।
  3. प्रश्न- भारत के प्रख्यात इतिहाकार कल्हण व आर. सी. मजूमदार का परिचय दीजिए।
  4. प्रश्न- भारतीय ज्ञान प्रणाली के स्रोत पर प्रकाश डालिए।
  5. प्रश्न- जदुनाथ सरकार, वी. डी. सावरकर, के. पी. जायसवाल का परिचय दीजिए।
  6. प्रश्न- भारत के प्रख्यात इतिहासकार मृदुला मुखर्जी के बारे में बताइए।
  7. प्रश्न- भारत संस्कृति (भाषाओं) के ज्ञान से अवगत कराइये।
  8. प्रश्न- नृत्य व रंगमंच की भारतीय संस्कृति से अवगत कराइये।
  9. प्रश्न- सिन्धु घाटी सभ्यता से मगध राज्य तक पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  10. प्रश्न- भारत के प्रख्यात इतिहासकार विपिनचन्द्र पर टिप्पणी लिखिए।
  11. प्रश्न- मध्य पाषाण समाज और शिकारी संग्रहकर्ता पर टिप्पणी कीजिए।
  12. प्रश्न- ऊपरी पुरापाषाण क्रांति क्या थी?
  13. प्रश्न- प्रसिद्ध इतिहासकार रोमिला थापर पर संक्षिप्त टिप्पणी कीजिए।
  14. प्रश्न- पाषाण युग की जीवनशैली किस प्रकार की थी?
  15. प्रश्न- के. पी. जायसवाल के विशिष्ट कार्यों से अवगत कराइये।
  16. प्रश्न- वी. डी. सावरकर के धार्मिक और राजनीतिक विचार से अवगत कराइये।
  17. प्रश्न- लोअर पैलियोलिथिक पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  18. प्रश्न- सिन्धु घाटी सभ्यता के विषय में आप क्या समझते हैं? 'हड़प्पा संस्कृति' के निर्माता कौन थे? बाह्य देशों के साथ उनके सम्बन्धों के विषय में आप क्या समझते हैं?
  19. प्रश्न- सिन्धु घाटी सभ्यता के सामाजिक व्यवस्था का वर्णन कीजिए।
  20. प्रश्न- सिन्धु घाटी सभ्यता के लोगों के आर्थिक जीवन के विषय में विस्तारपूर्वक बताइये।
  21. प्रश्न- सिन्धु नदी घाटी के समाज के धार्मिक व्यवस्था की प्रमुख विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
  22. प्रश्न- सिन्धु घाटी सभ्यता की राजनीतिक व्यवस्था एवं कला का विस्तार पूर्वक वर्णन कीजिए।
  23. प्रश्न- सिन्धु सभ्यता के नामकरण और उसके भौगोलिक विस्तार की विवेचना कीजिए।
  24. प्रश्न- सिन्धु सभ्यता की नगर योजना का विस्तृत वर्णन कीजिए।
  25. प्रश्न- हड़प्पा सभ्यता के नगरों के नगर-विन्यास पर विस्तृत टिप्पणी लिखिए।
  26. प्रश्न- हड़प्पा संस्कृति की विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
  27. प्रश्न- सिन्धु घाटी के लोगों की शारीरिक विशेषताओं का संक्षिप्त मूल्यांकन कीजिए।
  28. प्रश्न- पाषाण प्रौद्योगिकी पर टिप्पणी लिखिए।
  29. प्रश्न- सिन्धु सभ्यता के सामाजिक संगठन पर टिप्पणी कीजिए।
  30. प्रश्न- सिंधु सभ्यता के कला और धर्म पर टिप्पणी कीजिए।
  31. प्रश्न- सिंधु सभ्यता के व्यापार का संक्षेप में उल्लेख कीजिए।
  32. प्रश्न- सिंधु सभ्यता की लिपि पर संक्षेप में प्रकाश डालिए।
  33. प्रश्न- सिन्धु सभ्यता में शिवोपासना पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  34. प्रश्न- सैन्धव धर्म में स्वस्तिक पूजा के विषय में बताइये।
  35. प्रश्न- सिन्धु सभ्यता के विनाश के क्या कारण थे?
  36. प्रश्न- लोथल के 'गोदी स्थल' पर लेख लिखो।
  37. प्रश्न- मातृ देवी की उपासना पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  38. प्रश्न- 'गेरुए रंग के मृदभाण्डों की संक्षिप्त विवेचना कीजिए।
  39. प्रश्न- 'मोहन जोदडो' का महान स्नानागार' पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  40. प्रश्न- ऋग्वैदिक अथवा पूर्व-वैदिक काल की सभ्यता और संस्कृति के बारे में आप क्या जानते हैं?
  41. प्रश्न- विवाह संस्कार से सम्पादित कृतियों का वर्णन कीजिए तथा महत्व की व्याख्या कीजिए।
  42. प्रश्न- वैदिक कालीन समाज पर प्रकाश डालिए।
  43. प्रश्न- उत्तर वैदिककालीन समाज में हुए परिवर्तनों की व्याख्या कीजिए।
  44. प्रश्न- वैदिक कालीन समाज की प्रमुख विशेषताओं का निरूपण कीजिए।
  45. प्रश्न- वैदिक साहित्य के बारे में संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  46. प्रश्न- ब्रह्मचर्य आश्रम के कार्य व महत्व को समझाइये।
  47. प्रश्न- वानप्रस्थ आश्रम के महत्व को समझाइये।
  48. प्रश्न- सन्यास आश्रम का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
  49. प्रश्न- मनुस्मृति में लिखित विवाह के प्रकार लिखिए।
  50. प्रश्न- वैदिक काल में दास प्रथा का वर्णन कीजिए।
  51. प्रश्न- पुरुषार्थ पर लघु लेख लिखिए।
  52. प्रश्न- 'संस्कार' पर प्रकाश डालिए।
  53. प्रश्न- गृहस्थ आश्रम के महत्व को समझाइये।
  54. प्रश्न- महाकाव्यकालीन स्त्रियों की दशा पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  55. प्रश्न- उत्तर वैदिककालीन स्त्रियों की दशा पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  56. प्रश्न- वैदिककाल में विवाह तथा सम्पत्ति अधिकारों की क्या स्थिति थी?
  57. प्रश्न- उत्तर वैदिककाल की राजनीतिक दशा का उल्लेख कीजिए।
  58. प्रश्न- विदथ पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  59. प्रश्न- ऋग्वेद पर टिप्पणी कीजिए।
  60. प्रश्न- आर्यों के मूल स्थान पर प्रकाश डालिए।
  61. प्रश्न- 'सभा' के विषय में आप क्या जानते हैं?
  62. प्रश्न- वैदिक यज्ञों के सम्पादन में अग्नि के महत्त्व को व्याख्यायित कीजिए।
  63. प्रश्न- उत्तरवैदिक कालीन धार्मिक विश्वासों एवं कृत्यों के विषय में आप क्या जानते हैं?
  64. प्रश्न- बिम्बिसार के समय से नन्द वंश के काल तक मगध की शक्ति के विकास का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
  65. प्रश्न- नन्द कौन थे? महापद्मनन्द के जीवन तथा उपलब्धियों का उल्लेख कीजिए।
  66. प्रश्न. बिम्बिसार की राज्यनीति का वर्णन कीजिए तथा परिचय दीजिए।
  67. प्रश्न- उदयिन के जीवन पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  68. प्रश्न- नन्द साम्राज्य की विशालता का वर्णन कीजिए।
  69. प्रश्न- धननंद और कौटिल्य के सम्बन्ध का उल्लेख कीजिए।
  70. प्रश्न- धननंद के विषय में आप क्या जानते हैं?
  71. प्रश्न- मगध की भौगोलिक सीमाओं को स्पष्ट कीजिए।
  72. प्रश्न- मौर्य कौन थे? इस वंश के इतिहास जानने के स्रोतों का उल्लेख कीजिए तथा महत्व पर प्रकाश डालिए।
  73. प्रश्न- चन्द्रगुप्त मौर्य के विषय में आप क्या जानते हैं? उसकी उपलब्धियों और शासन व्यवस्था पर निबन्ध लिखिए।
  74. प्रश्न- सम्राट बिन्दुसार का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
  75. प्रश्न- मौर्यकाल में सम्राटों के साम्राज्य विस्तार की सीमाओं को स्पष्ट कीजिए।
  76. प्रश्न- चन्द्रगुप्त मौर्य के बचपन का वर्णन कीजिए।
  77. प्रश्न- सुदर्शन झील पर टिप्पणी लिखिए।
  78. प्रश्न- अशोक के प्रारम्भिक जीवन पर प्रकाश डालते हुए बताइये कि वह किस प्रकार सिंहासन पर बैठा था?
  79. प्रश्न- सम्राट अशोक के साम्राज्य विस्तार पर प्रकाश डालिए।
  80. प्रश्न- सम्राट के धम्म के विशिष्ट तत्वों का निरूपण कीजिए।
  81. प्रश्न- अशोक के शासन व्यवस्था की विवेचना कीजिए।
  82. प्रश्न- 'भारतीय इतिहास में अशोक एक महान सम्राट कहलाता है। यह कथन कहाँ तक सत्य है? प्रकाश डालिए।
  83. प्रश्न- मौर्य वंश के पतन के लिए अशोक कहाँ तक उत्तरदायी था?
  84. प्रश्न- अशोक ने धर्म प्रचार के क्या उपाय किये थे? स्पष्ट कीजिए।
  85. प्रश्न- सारनाथ स्तम्भ लेख पर टिप्पणी कीजिए।
  86. प्रश्न- बृहद्रथ किस राजवंश का शासक था और इसके विषय में आप क्या जानते हैं?
  87. प्रश्न- कौटिल्य और मेगस्थनीज के विषय में आप क्या जानते हैं?
  88. प्रश्न- कौटिल्य की पुस्तक 'अर्थशास्त्र' में उल्लेखित विषयों की व्याख्या कीजिए।
  89. प्रश्न- कौटिल्य रचित 'अर्थशास्त्र' में 'कल्याणकारी राज्य' की परिकल्पना को स्पष्ट कीजिए।
  90. प्रश्न- गुप्तों की उत्पत्ति के विषय में आप क्या जानते हैं? विस्तृत विवेचन कीजिए।
  91. प्रश्न- काचगुप्त कौन थे? स्पष्ट कीजिए।
  92. प्रश्न- प्रयाग प्रशस्ति के आधार पर समुद्रगुप्त की विजयों का उल्लेख कीजिए।
  93. प्रश्न- चन्द्रगुप्त (द्वितीय) की उपलब्धियों के बारे में विस्तार से लिखिए।
  94. प्रश्न- कल्याणी के उत्तरकालीन पश्चिमी चालुक्य को समझाइए।
  95. प्रश्न- गुप्त शासन प्रणाली पर एक विस्तृत लेख लिखिए।
  96. प्रश्न- गुप्तकाल की साहित्यिक एवं कलात्मक उपलब्धियों का वर्णन कीजिए।
  97. प्रश्न- गुप्तों के पतन का विस्तार से वर्णन कीजिए।
  98. प्रश्न- गुप्तों के काल को प्राचीन भारत का 'स्वर्ण युग' क्यों कहते हैं? विवेचना कीजिए।
  99. प्रश्न- रामगुप्त की ऐतिहासिकता पर विचार व्यक्त कीजिए।
  100. प्रश्न- गुप्त सम्राट चन्द्रगुप्त द्वितीय विक्रमादित्य के विषय में बताइए।
  101. प्रश्न- आर्यभट्ट कौन था? वर्णन कीजिए।
  102. प्रश्न- राजा के रूप में स्कन्दगुप्त के महत्व की विवेचना कीजिए।
  103. प्रश्न- कुमारगुप्त पर संक्षेप में टिप्पणी लिखिए।
  104. प्रश्न- कुमारगुप्त प्रथम की उपलब्धियों पर प्रकाश डालिए।
  105. प्रश्न- गुप्तकालीन भारत के सांस्कृतिक पुनरुत्थान पर प्रकाश डालिए।
  106. प्रश्न- कालिदास पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  107. प्रश्न- विशाखदत्त कौन था? वर्णन कीजिए।
  108. प्रश्न- स्कन्दगुप्त कौन था?
  109. प्रश्न- जूनागढ़ अभिलेख से किस राजा के विषय में जानकारी मिलती है उसके विषय में आपसूक्ष्म में बताइए।
  110. प्रश्न- गुर्जर प्रतिहारों की उत्पत्ति का आलोचनात्मक विवरण दीजिए।
  111. प्रश्न- मिहिरभोज की उपलब्धियों का मूल्यांकन कीजिए।
  112. प्रश्न- गुर्जर-प्रतिहार नरेश नागभट्ट द्वितीय के शासनकाल की घटनाओं पर प्रकाश डालिए।
  113. प्रश्न-
  114. प्रश्न- गुर्जर-प्रतिहार शासक नागभट्ट प्रथम के शासन-काल का विवरण दीजिए।
  115. प्रश्न- वत्सराज की उपलब्धियों पर प्रकाश डालिए।
  116. प्रश्न- गुर्जर-प्रतिहार वंश के इतिहास में नागभट्ट द्वितीय के स्थान का मूल्यांकन कीजिए।
  117. प्रश्न- मिहिरभोज की राजनैतिक एवं सांस्कृतिक उपलब्धियों का वर्णन कीजिए।
  118. प्रश्न- गुर्जर-प्रतिहार सत्ता का मूल्यांकन कीजिए।
  119. प्रश्न- गुर्जर प्रतिहारों का विघटन पर प्रकाश डालिये।
  120. प्रश्न- गुर्जर-प्रतिहार वंश के इतिहास जानने के साधनों का उल्लेख कीजिए।
  121. प्रश्न- महेन्द्रपाल प्रथम कौन था? उसकी उपलब्धियों पर प्रकाश डालिए। उत्तर -
  122. प्रश्न- राजशेखर और उसकी कृतियों पर एक टिप्पणी लिखिए।
  123. प्रश्न- राज्यपाल तथा त्रिलोचनपाल पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  124. प्रश्न- त्रिकोणात्मक संघर्ष में प्रतिहारों की भूमिका का उल्लेख कीजिए।
  125. प्रश्न- कन्नौज के प्रतिहारों पर एक निबन्ध लिखिए।
  126. प्रश्न- प्रतिहार वंश का महानतम शासक कौन था?
  127. प्रश्न- गुर्जर एवं पतन का विश्लेषण कीजिये।
  128. प्रश्न- कीर्तिवर्मा द्वितीय एवं बादामी के चालुक्यों के अन्त पर प्रकाश डालिए।
  129. प्रश्न- चालुक्य राज्य के अंधकार काल पर प्रकाश डालिए।
  130. प्रश्न- पूर्वी चालुक्य शासकों ने कला और संस्कृति में क्या योगदान दिया है?
  131. प्रश्न- चालुक्य कौन थे? इनकी उत्पत्ति के बारे में बताइए।
  132. प्रश्न- वेंगी के पूर्व चालुक्यों पर टिप्पणी लिखिए।
  133. प्रश्न- चालुक्यकालीन धर्म एवं कला का वर्णन कीजिए।
  134. प्रश्न- चालुक्यों की विभिन्न शाखाओं का वर्णन कीजिए।
  135. प्रश्न- चालुक्य संघर्ष के विषय में आप क्या जानते हैं?
  136. प्रश्न- कल्याणी के पश्चिमी चालुक्यों की शक्ति के प्रसार का विवरण दीजिए।
  137. प्रश्न- चालुक्यों की उपलब्धियों के महत्व का वर्णन कीजिए।
  138. प्रश्न- चालुक्यों की शासन व्यवस्था का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
  139. प्रश्न- चालुक्य- पल्लव संघर्ष का विवरण दीजिए।
  140. प्रश्न- परमारों की उत्पत्ति की विवेचना कीजिए।
  141. प्रश्न- राजा भोज के शासन काल में चतुर्दिक उन्नति हुई।
  142. प्रश्न- परमार नरेश वाक्पति II मुंज के शासन काल की घटनाओं पर प्रकाश डालिए।
  143. प्रश्न- राजा भोज के शासन प्रबंध के विषय में आप क्या जानते हैं? बताइए।
  144. प्रश्न- परमार वंश के पतन पर प्रकाश डालिए तथा इस वंश का पतन क्यों हुआ?
  145. प्रश्न- परमार साहित्य और कला की विवेचना कीजिए।
  146. प्रश्न- परमार वंश का संस्थापक कौन था?
  147. प्रश्न- मुंज परमार की उपलब्धियों का आंकलन कीजिए।
  148. प्रश्न- 'धारा' पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  149. प्रश्न- सीयक द्वितीय 'हर्ष' के शासन काल की घटनाओं का उल्लेख कीजिए।
  150. प्रश्न- सिन्धुराज पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  151. प्रश्न- परमारों के पतन के कारण बताइए।
  152. प्रश्न- राजा भोज एवं चालुक्य संघर्ष का वर्णन कीजिये।
  153. प्रश्न- राजा भोज की सांस्कृतिक उपलब्धियों की विवेचना कीजिए।
  154. प्रश्न- परमार इतिहास जानने के साधनों का वर्णन कीजिए।
  155. प्रश्न- भोज परमार की उपलब्धियों का उल्लेख कीजिए।
  156. प्रश्न- परमारों की प्रशासनिक व्यवस्था पर प्रकाश डालिये।
  157. प्रश्न- विग्रहराज चतुर्थ के शासन काल की घटनाओं का उल्लेख कीजिए।
  158. प्रश्न- अर्णोराज चाहमान के जीवन एवं उपलब्धियों पर प्रकाश डालिए।
  159. प्रश्न- पृथ्वीराज चौहान की उपलब्धियों की समीक्षा कीजिए। मोहम्मद गोरी के हाथों उसकी पराजय के क्या कारण थे? उल्लेख कीजिए।
  160. प्रश्न- चाहमान कौन थे? विग्रहराज चतुर्थ के विजयों का वर्णन कीजिए।
  161. प्रश्न- चाहमान कौन थे?
  162. प्रश्न- विग्रहराज द्वितीय के शासनकाल की घटनाओं पर प्रकाश डालिए।
  163. प्रश्न- अजयराज चाहमान की उपलब्धियों पर संक्षेप में प्रकाश डालिए।
  164. प्रश्न- पृथ्वीराज चौहान की सैनिक उपलब्धियों का वर्णन कीजिए।
  165. प्रश्न- विग्रहराज चतुर्थ की उपलब्धियों का मूल्यांकन कीजिए।
  166. प्रश्न- पृथ्वीराज और जयचन्द्र की शत्रुता पर प्रकाश डालिये।
  167. प्रश्न- ऐतिहासिक साक्ष्य के रूप में पृथ्वीराज रासो के महत्व को स्पष्ट कीजिए।
  168. प्रश्न- चाहमान वंश का प्रसिद्ध शासक आप किसे मानते हैं?
  169. प्रश्न- चाहमानों के विदेशी मूल का सिद्धान्त पर प्रकाश डालिये।
  170. प्रश्न- पृथ्वीराज तृतीय के चन्देलों के साथ सम्बन्धों की विवेचना कीजिए।
  171. प्रश्न- गोविन्द चन्द्र गहड़वाल की उपलब्धियों का मूल्यांकन कीजिए।
  172. प्रश्न- गहड़वालों की उत्पत्ति की विवेचना कीजिए।
  173. प्रश्न- जयचन्द्र पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  174. प्रश्न- अर्णोराज के राज्यकाल की प्रमुख राजनीतिक घटनाओं पर प्रकाश डालिए।
  175. प्रश्न- चाहमानों (चौहानों) के राजनीतिक इतिहास का वर्णन कीजिए।
  176. प्रश्न- ललित विग्रहराज नाटक पर नोट लिखिए।
  177. प्रश्न- चाहमान नरेश पृथ्वीराज तृतीय के तराइन युद्धों का वर्णन कीजिए।
  178. प्रश्न- चौहान वंश के इतिहास जानने के स्रोतों का वर्णन कीजिए।
  179. प्रश्न- सामंतवाद पर विस्तृत टिप्पणी लिखिए।
  180. प्रश्न- सामंतवाद के पतन के कारण बताइए।
  181. प्रश्न- प्राचीन भारत में सामंतवाद की क्या स्थिति थी?
  182. प्रश्न- मौर्य प्रशासन और सामंतवाद पर टिप्पणी लिखिए।
  183. प्रश्न-
  184. प्रश्न- वेदों की उत्पत्ति के विषय में बताइए। वेदों ने हमारे जीवन को किस प्रकार के ज्ञान दिये?
  185. प्रश्न- हिन्दू धर्म और संस्कृति पर विस्तृत टिप्पणी लिखिए
  186. प्रश्न- हिन्दू वर्ग की जाति-व्यवस्था व त्योहारों के विषय में बताइए।
  187. प्रश्न- 'लिंगायत'' के बारे में बताइए।
  188. प्रश्न- हिन्दू धर्म के सुधारकों के विषय में बताइए।
  189. प्रश्न- हिन्दू धर्म में आत्मा से सम्बन्धित विचारों से अवगत कराइये।
  190. प्रश्न- हिन्दुओं के मूल विश्वासों से अवगत कराइए।
  191. प्रश्न- उपवास पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  192. प्रश्न- हिन्दू धर्म में लोगों के गाय के प्रति कर्तव्य से अवगत कराइये।
  193. प्रश्न- हिन्दू धर्म में
  194. प्रश्न- मुहम्मद गोरी के भारत आक्रमण का वर्णन कीजिए।
  195. प्रश्न- मुहम्मद गोरी की भारत विजय के कारणों की सुस्पष्ट व्याख्या कीजिए।
  196. प्रश्न- राजपूतों के पतन के कारणों की विवेचना कीजिए।
  197. प्रश्न- मुस्लिम आक्रमण के समय उत्तर की राजनीतिक स्थिति का संक्षिप्त विवरण प्रस्तुत कीजिए।
  198. प्रश्न- महमूद गजनवी के भारतीय आक्रमणों का वर्णन कीजिए।
  199. प्रश्न- भारत पर मुहम्मद गोरी के आक्रमण के क्या कारण थे?
  200. प्रश्नृ- गोरी के आक्रमण के समय भारत की राजनीतिक दशा कैसी थी?
  201. प्रश्न- गोरी के आक्रमण के समय भारत की सामाजिक स्थिति का संक्षिप्त वर्णन करें।
  202. प्रश्न- 11-12वीं सदी में भारत की आर्थिक स्थिति पर टिप्पणी लिखें।
  203. प्रश्न- 11-12वीं सदी में भारतीय शासकों के तुर्कों से पराजय के क्या कारण थे?
  204. प्रश्न- भारत में तुर्की राज्य स्थापना के क्या परिणाम हुए?
  205. प्रश्न- मुहम्मद गोरी का चरित्र-मूल्यांकन कीजिए।
  206. प्रश्न- अरबों की असफलता के क्या कारण थे?
  207. प्रश्न- अरब आक्रमण का प्रभाव स्पष्ट कीजिए।
  208. प्रश्न- तराइन के प्रथम युद्ध पर प्रकाश डालिए।
  209. प्रश्न- भारत पर तुर्कों के आक्रमण के क्या कारण थे?
  210. प्रश्न- महमूद गजनवी का आनन्दपाल पर आक्रमण का वर्णन कीजिये।
  211. प्रश्न- महमूद गजनवी का कन्नौज पर आक्रमण पर प्रकाश डालिये।
  212. प्रश्न- महमूद गजनवी द्वारा सोमनाथ का विध्वंस पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये। [
  213. प्रश्न- महमूद गजनवी के आक्रमण के कारणों का उल्लेख कीजिए।
  214. प्रश्न- भारत पर महमूद गजनवी के आक्रमण के परिणामों पर टिप्पणी कीजिए।
  215. प्रश्न- मोहम्मद गोरी की विजयों के बारे में लिखिए।
  216. प्रश्न- भारत पर तुर्की आक्रमण के प्रभावों का संक्षिप्त उल्लेख कीजिए।

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